कुछ दी पहले में छुट्टी बिताने एक नदी के किनारे गया. ऐसा लगा की कुछ अलग सा है. सोचा ..
कैसे लोग हो गये हैं ना हम
कि नदी में पावं डुबोना भी अब अंजाना सा लगता है
और जाते जाते
फिर नदी के बहते पानी की कल कल सुनने गया
ताकि शहेर की आवाज़ को कम से कम मन में तो दबा सकूँ
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